नैतिकता नि:शब्द लजाएर गए
मुठ्ठीभरका आफ्ना रजाएर गए
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भोकभोकै रित्ताले, धुम्धुम्ती कुरे नि
चारै दिशा आफ्नै सजाएर गए
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Posted in गजल on 12/14/2011| Leave a Comment »
नैतिकता नि:शब्द लजाएर गए
मुठ्ठीभरका आफ्ना रजाएर गए
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भोकभोकै रित्ताले, धुम्धुम्ती कुरे नि
चारै दिशा आफ्नै सजाएर गए
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