जिन्दगीका सयौं पाटा, डुलाई गयो समयले
अन्तरङ्ग ज्वारभाटा, भुलाई गयो समयले।
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साथ दिने हात कतै, हाँडीघोप्टे नाता कतै
आदर्शलाई अहंसँगै, घुलाई गयो समयले।
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सम्बन्धका कुरा यहाँ, समर्पणका कुरा यहाँ
शर्त राखी स्वार्थी बाटा, खुलाई गयो समयले।
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नसोचेकै दशा कहीं, नगरेकै दोष कहीं
फिका, गाढा बेखुशी मै, झुलाई गयो समयले।
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देख्दा यौटा भित्र अर्कै, गैह्रो र’छ दुनिया यो
बुझाई मै जादू फूल, फुलाई गयो समयले।
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